Class 11 Hindi Aroh NCERT Solutions for Chapter 16 (Updated for 2021-22)

NCERT Solutions For Class 11 Hindi Aroh Chapter 16

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NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 16: Overview

Champa Kale Kale Akshar Nehi Chinhati

Shri Trilochan is the author of this poetry. The poet illustrates the condition of a family whose children have left them to study and work. Champa, the protagonist, is a young girl who refuses to learn and wishes to remain illiterate for the rest of her life. She argues that persons who study black-coloured characters (words) become egotistical and quit their families in order to travel to cities. They become enamoured with the high-profile lifestyle and never return. The individuals who are left are lonely and in misery.

People who study, she argues, become brilliant, egotistical, and devious. Their spouses in the villages are uneducated and so unable to read or write letters. She curses cities and their opulent lifestyles, which interest every family member’s child and tear apart otherwise happy families.

Since this poem contains a variety of poetic tones, it’s critical to fully comprehend each line. NCERT questions should always be your first priority because they offer you an idea of what problems can arise and help you better grasp the subject.

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पाठ के साथ

प्रश्न 1:
रजा ने अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी की पेशकश क्यों नहीं स्वीकार की?
उत्तर-
लेखक को मध्य प्रांत की सरकार की तरफ से बंबई के जे.जे. स्कूल ऑफ आट्र्स में दाखिला लेने के लिए छात्रवृत्ति मिली। जब वे अमरावती के गवर्नमेंट नार्मल स्कूल से त्यागपत्र देकर बंबई पहुँचा तो दाखिले बंद हो चुके थे। सरकार ने छात्रवृत्ति वापस ले ली तथा उन्हें अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी देने की पेशकश की। लेखक ने यह पेशकश स्वीकार नहीं की, क्योंकि उन्होंने बंबई शहर में रहकर अध्ययन करने का निश्चय कर लिया था। उन्हें यहाँ का वातावरण, गैलरियाँ व मित्र पसंद आ गए। चित्रकारी की गहराई को जानने-समझने के लिए बंबई (अब मुंबई) अच्छी जगह थी। चित्रकारी सीखने की इच्छा के कारण उन्होंने यह पेशकश ठुकरा दी।

प्रश्न 2:
बंबई में रहकर कला के अध्ययन के लिए रज़ा ने क्या-क्या संघर्ष किए?
उत्तर-
बंबई में रहकर कला के अध्ययन के लिए रज़ा ने कड़ा संघर्ष किया। सबसे पहले उन्हें एक्सप्रेस ब्लाक स्टूडियो में डिजाइनर की नौकरी मिली। वे सुबह दस बजे से सायं छह बजे तक वहाँ काम करते थे फिर मोहन आर्ट क्लब जाकर पढ़ते और अंत में जैकब सर्कल में एक परिचित ड्राइवर के ठिकाने पर रात गुजारने के लिए जाते थे। कुछ दिन बाद उन्हें स्टूडियो के आर्ट डिपार्टमेंट में कमरा मिल गया। उन्हें फर्श पर सोना पड़ता था। वे रात के ग्यारह-बारह बजे तक चित्र व रेखाचित्र बनाते थे। उनकी मेहनत देखकर उन्हें मुख्य डिजाइनर बना दिया गया। कठिन परिश्रम के कारण उन्हें मुंबई आट्र्स सोसाइटी का स्वर्ण पदक मिला।

1943 ई. में उनके दो चित्र आट्र्स सोसाइटी ऑफ इंडिया की प्रदर्शनी में रखे गए, किंतु उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया। उनके चित्रों की प्रशंसा हुई। उनके चित्र 40-40 रुपये में बिक गए। वेनिस अकादमी के प्रोफेसर वाल्टर लैंगहैमर ने उन्हें अपना स्टूडियो दिया। लेखक दिनभर मेहनत करके चित्र बनाता तथा लैंगहैमर उन्हें देखते तथा खरीद भी लेते। इस प्रकार लेखक नौकरी छोड़कर जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट का नियमित छात्र बना।

प्रश्न 3:
भले ही 1947 और 1948 में महत्वपूर्ण घटनाएँ घटी हों, मेरे लिए वे कठिन बरस थे-रजा ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर-
रज़ा ने इन्हें कठिन बरस इसलिए कहा, क्योंकि इस दौरान उनकी माँ का देहांत हो गया। पिता जी की मंडला लौटना पड़ा तथा अगले साल उनका देहांत हो गया। इस प्रकार उनके कंधों पर सारी जिम्मेदारियाँ आ पड़ीं।

1947 में भारत आज़ाद हुआ, परंतु विभाजन की त्रासदी भी थी, गांधी की हत्या भी 1948 में हुई। इन सभी घटनाओं ने लेखक को हिला दिया। अत: वह इन्हें कठिन वर्ष कहता है।

प्रश्न 4:
रजा के पसंदीदा फ्रेंच कलाकार कौन थे?
उत्तर-
रज़ा के पसंदीदा फ्रेंच कलाकारों में सेज़ाँ, वॉन गॉज, गोगाँ पिकासो, मातीस, शागाल और ब्रॉक थे। इनमें वह पिकासो से सर्वाधिक प्रभावित थे।

प्रश्न 5:
तुम्हारे चित्रों में रंग है, भावना है, लेकिन रचना नहीं है। तम्हें मालूम होना चाहिए कि चित्र इमारत की ही तरह बनाया जाता है-आधार, नींव, दीवारें, बीम, छत और तब जाकर वह टिकता है-यह बात

(क) किसने, किस संदर्भ में कही?
(ख) रज़ा पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर-

(क) यह बात प्रख्यात फोटोग्राफर हेनरी कार्तिए-ब्रेसाँ ने श्रीनगर की यात्रा के दौरान सैयद हैदर रज़ा के चित्रों को देखकर कही थी। उनका मानना था कि चित्र में भवन-निर्माण के समान सभी तत्व मौजूद होने चाहिए। चित्रकारी में रचना की जरूरत होती है। उसने लेखक को सेज़ाँ के चित्र देखने की सलाह दी।
(ख) फ्रेंच फोटोग्राफर की सलाह का रज़ा पर गहरा प्रभाव पड़ा। मुंबई लौटकर उन्होंने फ्रेंच सीखने के लिए अलयांस फ्रांस में दाखिला लिया। उनकी रुचि फ्रेंच पेंटिंग में पहले ही थी। अब वे उसकी बारीकियों को समझने का प्रयास करने लगे। इस कारण उन्हें फ्रांस जाने का अवसर भी मिला।

पाठ के आस-पास

प्रश्न 1:
रज़ा को जलील साहब जैसे लोगों का सहारा न मिला होता तो क्या तब भी वे एक जाने-माने चित्रकार होते? तर्क सहित लिखिए।
उत्तर-
रज़ा को जलील साहब जैसे लोगों का सहारा न मिला होता तो भी वे एक जाने-माने चित्रकार होते। इसका कारण है-उनके अंदर चित्रकार बनने की अदम्य इच्छा। लेखक बचपन से ही प्रतिभाशाली था। उसे आजीविका का साधन मिल गया था, परंतु उसने सरकारी नौकरी छोड़कर चित्रकला सीखने के लिए कड़ी मेहनत की। मेहनत करने वालों का साथ कोई-न-कोई दे देता है। जलील साहब ने भी उनकी प्रतिभा, लगन व मेहनत को देखकर सहायता की। लेखक के उत्साह, संघर्ष करने की क्षमता, काम करने की इच्छा ही उसे महान चित्रकार बनाती है।

प्रश्न 2:
चित्रकला व्यवसाय नहीं, अंतरात्मा की पुकार हैं-इस कथन के आलोक में कला के वर्तमान और भविष्य पर विचार कीजिए।
उत्तर-
लेखक का यह कथन अक्षरश: सही है। जो व्यक्ति इस कला को सीखना चाहते हैं, उन्हें व्यावसायिकता छोड़नी होती है। व्यवसाय में व्यक्ति अपनी इच्छा से अभिव्यक्ति नहीं कर सकता। वह धन के लालच में कला के तमाम नियम तोड़ देता है तथा ग्राहक की इच्छानुसार कार्य करता है। उसकी रचनाओं में भी गहराई नहीं होती। ऐसे लोगों का भविष्य कुछ नहीं होता। जो कलाकार मन व कर्म से इस कला में काम करते हैं, वे अमर हो जाते हैं। उनकी कृतियाँ कालजयी होती हैं; उन्हें पैसे की कमी भी नहीं रहती, क्योंकि उच्च स्तर की रचनाएँ बहुत महँगी मिलती हैं। वर्तमान दौर में भी चित्रकला का भविष्य उज्ज्वल है।

प्रश्न 3:
हमें लगता था कि हम पहाड़ हिला सकते हैं-आप किन क्षणों में ऐसा सोचते हैं?
उत्तर-
जब व्यक्ति में कुछ करने की क्षमता व उत्साह होता है तब वह कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाता है। मेरे अंदर इतना आत्मविश्वास तब आता है जब कोई समस्या आती है। मैं उस पर गंभीरता से विचार करता हूँ तथा उसका सर्वमान्य हल निकालने की कोशिश करता हूँ। ऐसे समय में मैं अपने मित्रों व सहयोगियों का साथ लेता हूँ। समस्या के शीघ्र हल होने पर हमें लगता है कि हम कोई भी कार्य कर सकते हैं।

प्रश्न 4:
राजा रवि वर्मा, मकबूल फिदा हुसैन, अमृता शेरगिल के प्रसिदध चित्रों का एक अलबम बनाइए। सहायता के लिए इंटरनेट या किसी आर्टगैलरी से संपर्क करें।
उत्तर-
विद्यार्थी स्वयं करें।

भाषा की बात

प्रश्न 1:
जब तक मैं बबई पहुँचा, तब तक जे जे. स्कूल में दाखिला बद हो चुका था-इस वाक्य को हम दूसरे तरीके से भी कह सकते हैं। मेरे बबई पहुँचने से पहले जे जे स्कूल में दाखिला बद हो चुका था। -नीचे दिए गए वाक्यों को दूसरे तरीके से लिखिए-

(क) जब तक मैं प्लेटफॉर्म पहुँचती तब तक गाड़ी जा चुकी थी।
(ख) जब तक डॉक्टर हवेली पहुँचता तब तक सेठ जी की मृत्यु हो चुकी थी।
(ग) जब तक रोहित दरवाजा बंद करता तब तक उसके साथी होली का रंग लेकर अंदर आ चुके थे।
(घ) जब तक रुचि कैनवास हटाती तब तक बारिश शुरू हो चुकी थी।

उत्तर-

(क) मेरे प्लेटफॉर्म पर पहुँचने से पहले गाड़ी जा चुकी थी।
(ख) डॉक्टर के हवेली पहुँचने से पहले सेठ जी की मृत्यु हो चुकी थी।
(ग) रोहित के दरवाजा बंद करने से पहले उसके साथी होली का रंग लेकर अंदर आ चुके थे।
(घ) रुचि के कैनवास हटाने से पहले बारिश शुरू हो चुकी थी।

प्रश्न 2:
‘आत्मा का ताप’ पाठ में कई शब्द ऐसे आए हैं जिनमें ऑ का इस्तेमाल हुआ है; जैसे-ऑफ, ब्लॉक, नॉर्मल। नीचे दिए गए शब्दों में यदि ऑ का इस्तेमाल किया जाए तो शब्द के अर्थ में क्या परिवर्तन आएगा? दोनों शब्दों का वाक्य-प्रयोग करते हुए अर्थ के अंतर को स्पष्ट कीजिए
हाल, काफी, बाल
उत्तर-

  1. हाल-दशा-मोहन का हाल खराब है।
    हॉल-बड़ा कमरा-हमारे स्कूल के हॉल में प्रदर्शनी लगी है।
  2. काफी-पर्याप्त-मेरे लिए इतना खाना काफी है।
    कॉफी-सर्दियों में पिया जाने वाला एक पेय-सुमन, मेरे लिए एक कप कॉफी बना देना।
  3. बाल-केश-सुंदरमती के बाल बहुत चमकीले व बड़े हैं।
    बॉल-गेंद-सचिन ने हर बॉल पर रन लिए।

अन्य हल प्रश्न

बोधात्मक प्रशन

प्रश्न 1:
कश्मीर के प्रधानमंत्री ने लेखक को कैसा पत्र दिया था? उसका उसे क्या फायदा हुआ?
उत्तर-
कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला ने उन्हें एक पत्र दिया जिसमें लिखा था कि यह एक भारतीय कलाकार है, इन्हें जहाँ चाहे वहाँ जाने दिया जाए और इनकी हर संभव सहायता की जाए। एक बार लेखक बस से बारामूला से लौट रहा था। वहाँ पुलिसवाले ने शहरी आदमी को देखकर उन्हें बस से उतार लिया। पुलिस वाले ने पूछताछ की तो लेखक ने उसे शेख साहब की चिट्ठी उसे दिखाई। पुलिसवाले ने सलाम ठोंका और परेशानी के लिए माफी माँगी। प्रश्न

प्रश्न 2:
लेखक को ऑटर्स सोसाइटी ऑफ इंडिया की प्रदर्शनी में आमंत्रित क्यों नहीं किया गया?
उत्तर-
1943 में ऑट्र्स सोसाइटी ऑफ इंडिया की तरफ से मुंबई में एक चित्र प्रदर्शनी आयोजित की गई। इसमें सभी बड़े-बड़े नामी चित्रकारों को आमंत्रित किया गया। लेखक उन दिनों सामान्य कलाकार था। वह प्रसिद्ध नहीं था। इसलिए उसे आमंत्रित नहीं किया गया। हालाँकि उनके दो चित्र उस प्रदर्शनी में रखे गए थे।

प्रश्न 3:
प्रोफेसर लैंगहेमर कौन थे? उन्होंने रज़ा की कैसे सहायता की?
उत्तर-
प्रोफेसर लैंगहैमर वेनिस अकादमी में प्रोफेसर थे। रज़ा के चित्र देखकर उन्होंने प्रशंसा की तथा काम करने के लिए उसे अपना स्टूडियो दे दिया। वे द टाइम्स ऑफ इंडिया में आर्ट डायरेक्टर थे। लेखक दिन में उनके स्टूडियो में चित्र बनाता तथा शाम को उन्हें चित्र दिखाता। प्रोफेसर उन चित्रों का बीरीकी से विश्लेषण करते। धीरे-धीरे वे उसके चित्र खरीदने भी लगे। इस प्रकार उन्होंने रज़ा को आगे बढ़ने में सहयोग दिया।

प्रश्न 4:
कला के विषय में रज़ा के विचारों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
रज़ा का मत है कि चित्रकला व्यवसाय नहीं, बल्कि अंतरात्मा की पुकार है। इसे अपना सर्वस्व देकर ही कुछ ठोस परिणाम मिल पाते हैं। वे कठिन परिश्रम को महत्वपूर्ण मानते हैं। उन्हें हैरानी है कि अच्छे संपन्न परिवारों के बच्चे काम नहीं कर रहे, जबकि उनमें तमाम संभावनाएँ हैं। युवाओं को कुछ घटने का इंतजार नहीं करना चाहिए तथा खुद नया करना चाहिए।

प्रश्न 5:
धन के बारे में हैदर रज़ा की क्या राय है?
उत्तर-
लेखक धन को जीवन जीने के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं। उनका मानना है कि उत्तरदायित्व होते हैं, किराया देना होता है, फीस देनी होती है, अध्ययन करना होता है, काम करना होता है। वे धन को प्रमुख मानते हैं। उनका मानना है कि पैसा कमाना महत्वपूर्ण होता है।

प्रश्न 6:
‘आत्मा का ताप’ पाठ का प्रतिपाद्य बताइए।
उत्तर-
यह पाठ रज़ा की आत्मकथात्मक पुस्तक आत्मा का ताप का एक अध्याय है। इसका अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद मधु बी. जोशी ने किया है। इसमें रज़ा ने चित्रकला के क्षेत्र में अपने आरंभिक संघर्षों और सफलताओं के बारे में बताया है। एक कलाकार का जीवन-संघर्ष और कला-संघर्ष, उसकी सर्जनात्मक बेचैनी, अपनी रचना में सर्वस्व झोंक देने का उसका जुनून ये सारी चीजें रोचक शैली में बताई गई हैं।

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FAQ (Frequently Asked Questions): NCERT Solutions For Class 11 Hindi Aroh Chapter 16

Why Do Champa Curse Megacities Only?

Champa believes that studying makes people vulnerable and that this vulnerability leads to people moving to megacities owing to the resulting selfishness. These megacities ensnare them in an opulent, fictitious world, shattering loving families. She curses megacities because of this. No one would study and leave their families if there were no cities.

Which Section of People is Focused on Poems by the Poet?

It represents the plight of eastern India’s married ladies and elderly parents. There are a lot of illiterate women there, so they can’t read or write letters to their husbands and brothers. Their family members relocate to megacities and never return.

Does Champa Change her Mind Towards Study?

 Champa denies it, even after the author argues with her for a long time, detailing the merits and drawbacks of learning. She is obstinate in her beliefs, believing that words and letters are a curse on families. She would rather be uneducated than cunning and self-centered.

Is the Mock Test Series Available on the website?

Yes, We have a lot of practice sets available on the website for students. These include mock test series; previous year solved papers, sample papers, most expected questions, and many more

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