तो शायद कहानी कुछ और होती

तो शायद कहानी कुछ और होती

2162 Views
MRP : ₹300.00
Price : ₹180.00
You will save : ₹120.00 after 40% Discount
Inclusive of all taxes
INSTANT delivery: Read it now on your device

Buy Ebook₹180.00 Rental Ebook Up to 70% Off

Save extra with 2 Offers

Get ₹ 50

Instant Cashback on the purchase of ₹ 400 or above
SAVE05 Already Applied

Product Specifications

Publisher Rigi Publication All Hindi books by Rigi Publication
ISBN 9789388393164
Author: Ash Raj
Number of Pages 256
Edition First Edition
Available
Available in all digital devices
  • Snapshot
  • About the book
तो शायद कहानी कुछ और होती - Page 1 तो शायद कहानी कुछ और होती - Page 2 तो शायद कहानी कुछ और होती - Page 3 तो शायद कहानी कुछ और होती - Page 4 तो शायद कहानी कुछ और होती - Page 5

तो शायद कहानी कुछ और होती by Ash Raj
Book Summary:

जब भी इंसान के बारे में बताया गया है। कहा गया की इंसान गलतीयों को पुतला है। हर इंसान अपनी जिंदगी में किमान एक गलती तो करता है। किसी की गलती छोटी होती है तो कोई बढ़ी गलती है। बस युही अगर पुछ ले कोई .... अगर तुम्हें पिछले वक्त में जाने को मौका मिले तो क्या बदलना चाहीये ? जायेंगा। शायद जुबाॅ से कुछ कह ना पायें। लेकिन कल्पना के इस भवसागर में कुछ पल डुबकी जरूर लगायेंगा। कोई हँसते हुऐ तो कोई रोते हुऐ। पर हर वो इंसान जिसने सृष्ठी के गणीतीय नियम का अनुभव नही किया है। वो अक्सर कहता है। तो शायद कहानी कुछ और होती ....’’

ये अनिरूध्द नाम के लडके की कहानी है। उसके जिंदगी में एक आदमी को खुष रहने के लिये जो भी चाहीये वो सब कुछ था। पर उससे हुई पहली सबसे बड़ी गलती ने उससे सब छिन लिया।

Audience of the Book :
This book Useful for Leisure Read.