साहब-मेमसाहब और सरकारी तंत्र

साहब-मेमसाहब और सरकारी तंत्र

1100 Views
MRP : ₹300.00
Price : ₹225.00
You will save : ₹75.00 after 25% Discount
Inclusive of all taxes
INSTANT delivery: Read it now on your device

Save extra with 2 Offers

Get ₹ 50

Instant Cashback on the purchase of ₹ 400 or above
SAVE05 Already Applied

Product Specifications

Publisher Nageen Prakashan All Leisure Read books by Nageen Prakashan
ISBN 9789388931472
Author: Dr. Shivani Chaturvedi
Number of Pages 193
Available
Available in all digital devices
  • Snapshot
  • About the book
  • Sample book
साहब-मेमसाहब और सरकारी तंत्र - Page 1 साहब-मेमसाहब और सरकारी तंत्र - Page 2 साहब-मेमसाहब और सरकारी तंत्र - Page 3 साहब-मेमसाहब और सरकारी तंत्र - Page 4 साहब-मेमसाहब और सरकारी तंत्र - Page 5

साहब-मेमसाहब और सरकारी तंत्र by Dr. Shivani Chaturvedi
Book Summary:

अतीत नी झोली मे न्टोरि नए. अदुको' कि नोलियो! न लिविकबल कब कक ब्टतथुप केति'हुए पावकोरं की कॉटिने- का यहा एक दुच्छ-तयतव- है? बीकानय है जी अपने पति कि-त३ब्मनिकर कीत- कि कार्यव्खल में कुले भी ब्लसटकारी त॑ए परी निकट: ब्की ब्समझने का तथा कुकर करने का आठतच्सर: प्राप्त दुख डबल कति कि माध्यम की आपने वितिक कर ड्तीमाल- करते हुए ने ब्ससकामर' में भी अपनी) विलंब की जजएवार करने काया मयाव्ण' किया है? किव्डी व्यक्त विकिषा पर करोड कराकर ना करके अचलॉर ली लीक्तफित्क काजल नन्स कर कि डबल. इुच्तव्क के लिए मे अपने गलि जी कठेश चहुरेकी नी के उ्शिष कोनक्ान के पति आएकारी हूँ कवि गला ापने ड्की-निर्दी चल डही घटनाओं को कुझवर प्याज ना करते तो डच्छे' लिएत' पान व्यकत नही 2० पच्यन्‍ग्गों में तीरते ग्यग्गों को सोचदा प्रव्यग्गों का जमा पह्लनाया #बच्य कि लिच्मनिलिकेललर लि चना लकाकत रबी टकमएएटकाक तहलरिट।

Audience of the Book :
This book Useful for Leisure Read.