85 भारतीय शासन एवं राजनीति by Dr. B. L. Fadia, Dr. Kuldeep Fadia
Book Summary:
संविधान द्वारा कुछ मूलभूत सिद्धान्यों और प्रशासनिक एवं प्रतिनिधि संस्थाओं के एक संरचनात्मक ढांचे की व्यवस्था की जाती है, लेकिन यह संरघनात्मक ढांधा य्यावहारिक राजनीति की परिस्थितियों से परियालित होता है और उसमें निरन्तर विकासशीलता एवं बदलाव की स्थिति होती है। व्यावहारिक राजनीति के तनाव और दबाव ही उसे सजीवणा और शक्ति प्रदान करते हैं अथवा उसकी दुर्बलता के कारण बनते हैं। पिछले दशक में शो भारतीय राजनीति का घटनाथक्र निरन्धर और यहुण अधिक तीव्र गति से परिवर्तित होता रहा है तथा इस घटनाथक्र का विश्लेषण किये बिना संवैधानिक ढांधे की मीमांसा कर पाना सम्नव नहीं है, अतः मूल संवैधानिक ढांचे को आधार बनाकर और व्यावह्वारिक राजनीति के निरन्तर बदलते हुए परिप्रेक्ष्य को दृष्टि में रखते हुए संविधान तथा सरकार के वास्तविक व्यावहारिक अध्ययन का प्रयास प्रस्तुत पुस्तक में किया गया है। पुस्तक का प्र्येक अध्याय 'संविधान', 'सरकार' या 'राजनीति' के किसी विशिष्ट पहलू की विश्लेषणात्मक समीक्षात्मक विवेधना प्रस्तुत करता है।
पिछले लगनग पांच दशकों से नारतीय राजनीति का समस्ण घटनाक्रम बहुत अधिक विवाद का विषय रहा है। इस विवादास्पद राजनीतिक घटनाथक्र के सम्बन्ध में निष्पक्ष और सन्तुलित दृष्टिकोण अपनाने की येष्टा पुस्तक में की गयी है। पुस्तक भारतीय राजनीति और शासन के बदलते हुए स्वरूप का अनुनवात्मक अध्ययन है। यद्यपि पुस्तक में शासन के संस्थागत पक्ष का भी उल्लेख किया गया है, किन्तु इस बात का यथासम्भव प्रयत्न किया गया है कि विभिन्न राजनीतिक संस्थाओं के ऐतिहासिक और सैद्धान्तिक पक्ष पर अधिक बल न देकर उसके 'व्यावह्ारिक' स्वरूप को सामने लाया जा सके।
Audience of the Book :
This book Useful for Political Science Students.