ग्रेजुएट मैनेजमेंट टेस्ट (GMAT) :- विदेशों में मैनेजमेंट प्रोग्राम जैसे एमबीए की पढ़ाई करने के लिए जाना चाहता हैं तो जीमैट की परीक्षा पास करना अनिवार्य है। जीमैट की परीक्षा में एनालिटिकल राइटिंग और समस्या समाधान के स्किल की दक्षता आंकी जाती है। इसके साथ ही क्रिटिकल रीजनिंग स्किल की योग्यता भी ध्यान दिया जाता है क्योंकि बिजनेस और मैनेजमेंट के क्षेत्र में ये बेहद अहम होते हैं।
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ग्रेजुएट रिकॉर्ड एग्जामिनेशन (GRE) :- जीआई परीक्षा मूल्यांकन करती है कि आप ग्रेजुएट स्तर के लिए तैयार हैं या नहीं। ये टेस्ट क्वाटिटेटिव रीजनिंग, मौखिक रीजनिंग, एनालिटिकल राइटिंग स्किल और क्रिटिकल थिकिंग की दक्षता का मूल्यांकन करते हैं। जीआई स्कोर को विदेशों संस्थानों में एमबीए प्रोग्राम या स्पेशलाइज्ड मास्टर डिग्री इन बिजनेस एंड डॉक्टोरल प्रोग्राम में दाखिला लेने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
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स्कॉलिस्टिक एप्टीट्यूड टेस्ट (SAT) :- अगर आप अमेरिका या कनाडा में पढ़ना की इच्छा रखते हैं तो आपके लिए सैट की परीक्षा पास करना बेहद अनिवार्य है। इस परीक्षा में अंडर ग्रेजुएशन कोर्स में दाखिला लेने के लिए छात्रों की अकादमिक दक्षता का मूल्यांकन किया जाता है। इसमें छात्रों को पढ़ने, लिखने और गणित की दक्षता को आंका जाता है। अमेरिका के ज्यादातर कॉलेजों में दाखिला लेने के लिए सैट के अच्छे स्कोर की आवश्यकता होती है।
एक्ट (ACT):- एक्ट की परीक्षा भी सैट की तरह की अमेरिका के कॉलेजों में अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम में दाखिला पाने के लिए दी जाती है। इस परीक्षा में अंडर ग्रेजुएशन कोर्स में दाखिला लेने के लिए छात्रों की अकादमिक दक्षता का मूल्यांकन किया जाता है। ये परीक्षा पढ़ने, अंग्रेजी, गणित और विज्ञान के छात्र की दक्षता का मूल्यांकन करता है। एक्ट एप्टीट्यूड टेस्ट नहीं है और इसका संबंध हाईस्कूल में की गई पढ़ाई से ही संबंधित होता है।
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एमकैट और एलसैट (MCAT-LSAT):- विदेश में मेडिसीन और कानून की पढ़ाई करने के लिए एमकैट और एलसैट की परीक्षाएं पास करना अनिवार्य है। इन्हीं के स्कोर के आधार पर लॉ और मेडिकल संस्थानों में दाखिला मिलता है। एमकैट परीक्षा में मेडिसीन से संबंधित बहुवैकल्पिक प्रश्नों द्वारा छात्रों के एप्टीट्यूड और मेडिसीन में ज्ञान के बारे में मूल्यांकन किया जाता है।
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टेस्ट ऑफ इंग्लिश एज ए फॉरेन लैंग्वेज (TOEFL) :-टोफेल छात्रों की अंग्रेजी भाषा में दक्षता का मूल्यांकन करने के लिए एक स्टैंडर्डाइज्ड टेस्ट है। विदेशी संस्थानों में दाखिला पाने के लिए गैर अंग्रेजी भाषा वाले छात्र टोफेल की परीक्षा देते हैं। टोफेल के स्कोर का इस्तेमाल इमीग्रेशन विभाग भी छात्रों के रहने और वीजा का इंतजाम के लिए करते हैं।
इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम (IELTS) :- आइईएलटीएस भी टोफेल की तरह ही एक लैंग्वेज प्रोफिशिएंसी टेस्ट है। आस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड और यूके की सरकार इमीग्रेशन आवेदनों को स्वीकार करने के लिए आइईएलटीए स्कोर का इस्तेमाल करती है। दुनियाभर में करीब 9000 संस्थानों में इस परीक्षा को मान्यता प्राप्त है।
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जरूरी दस्तावेज :- विदेशी संस्थानों में आवेदन करने के लिए कई दस्तावेज देने होते हैं। इनमें स्टेटमेंट ऑफ परपस (एसओपी)/ एडमिशन ऐस्से, लेटर ऑफ रिकॉमेंडेशन (एलओआर), स्टूडेंट सीवी और स्टूडेंट वीजा शामिल हैं।
लेटर ऑफ रिकॉमेंडेशन :- लेटर ऑफ रिकॉमेंडेशन आपके पूर्व शिक्षक या संस्थान द्वारा लिखा जाता है जो आपकी अकादमिक क्षमता के बारे में बताता है। रिकॉमेंडेशन लेटर का उद्देश्य उम्मीदवार के स्किल, क्षमता, उपलब्धियों और एप्टीट्यूड के बारे में बताना होता है। इससे विदेशी संस्थान को आपके अकादमिक क्षमताओं के बारे में पूरा ब्योरा मिल जाता है।
स्टूडेंट सीवी:- स्टूडेंट सीवी आपके अकादमिक और प्रोफेशनल योग्यताओं, उपलब्धियों, क्षमताओं और स्किल को दर्शाता है। आपका सीवी एडमिशन कमिटी पर पहला इंप्रेशन डालती है इसलिए इसे बेहद सावधानी से बनाना चाहिए। एक अच्छे सीवी से आपका उद्देश्य सपष्ट होना चाहिए। लेकिन, इसके लिए आपको सीवी की शुरुआत में ही उद्देश्य यानी ऑब्जेक्टिव लिखने की जरूरत नहीं है।
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