इन प्वाइंट्स की लेंगे मदद तो आसानी से अपने विपक्षी वक्ता को दें पाएंगे मात
डिबेट से पहले की तैयारी -
डिबेट पूरी तरह से लॉजिक पर बेस्ड होती है इसलिए आपको ध्यान रखना है कि डिबेट से पहले टॉपिक को समझें और अच्छे से रिसर्च कर नोट मेकिंग कर लें।
विपक्षी के हर लॉजिक को काउंटर कर पाएंगे -
अगर आप रिसर्च करके जाते हैं तो आप बेहतर फील करेंगे और अपने विपक्षी के हर लॉजिक को काउंटर कर पाएंगे और आपको स्टेज पर ये नहीं सोचना पड़ेगा कि आगे क्या बोलना है।
इंट्रोडक्शन -
डिबेट की शुरुआत करने से पहले अपने ऑडियंस को खुद से परिचित कराएं। आप इंट्रोडक्शन कई तरीकों से दे सकते हैं। या तो आप कुछ पंक्तियों से इंट्रोडक्शन शुरू कर सकते हैं।
सिर्फ लॉजिक पर ही बात करें -
डिबेट के दौरान ध्यान रखें कि आप सिर्फ लॉजिक पर ही बात करें और टॉपिक से बिल्कुल न भटकें और प्वाइंट टू प्वाइंट बात करें।
टॉपिक से बिल्कुल न भटकें -
डिबेट के दौरान ध्यान रखें कि आप सिर्फ लॉजिक पर ही बात करें और टॉपिक से बिल्कुल न भटकें और प्वाइंट टू प्वाइंट बात करें। कोशिश करें कि आपके डिबेट का सेशन बातचीत वाला हो।
Interrogation के दौरान हाइपर न हो -
अक्सर डिबेट के बाद स्पीकर यानी वक्ता से ऑडियंस कुछ सवाल पूछती है उन सवालों का वक्ता को जवाब देना होता है।
सहजता से जवाब दें -
कई बार आप उन सवालों के आंसर जानते हैं और कई बार आपको आंसर नहीं पता होते। लेकिन जब आप उत्तर नहीं जानते तो ध्यान रखें कि आपको हायर बिल्कुल नहीं होना है और सहजता से कहना है कि आपको जवाब नहीं पता।
अंत कंक्लूजन के ही साथ हो -
डिबेट खत्म करते समय इस बात का बेहद खास ख्याल रखें कि अंत कंक्लूजन के ही साथ हो। ऐसे करने से आपकी मार्किंग पर गहरा असर पड़ सकता है।