कोडिंग एक समस्या-समाधान दृष्टिकोण सिखाता है - नई समस्याओं के समाधान करने के लिए केवल कोड लिखने से कहीं ज्यादा एक संरचित और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।
कोडिंग धैर्य बढ़ाता है - जब आपका बच्चा कम उम्र से ही कोड करना सीखेगा, तो उसमें बाधाओं का सामना करते हुए भी सही परिणामों की तलाश में आगे बढ़ते रहने की क्षमता का विकास होगा।
कोडिंग रचनात्मकता का विस्तार करता है - कोडिंग बच्चों को लीक से हटकर सोचना सिखाता है। जब बच्चे कम उम्र में कोडिंग सीखते हैं, तो उनमें अधिकांश लोगों की तुलना में वास्तविक दुनिया की समस्याओं को पहचान करने की क्षमता विकसित होती है।
बच्चों की स्किल्स बढ़ती है - कोडिंग की मदद से कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, वेबसाइट्स और ऐप क्रिएट की जा सकती हैं। यह एक स्किल है और इसकी मदद से आप टेक्निकल चीजों का बेस समझ पाते हैं।
सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में करियर बना सकते हैं - एडवांस टेक्नोलॉजी के लिए कंप्यूटर प्रोग्रामर (Computer Programmer) की काफी डिमांड होती है, इसलिए अगर बच्चों को कोडिंग सिखाई जाए तो वह इसमें करियर बना सकते हैं।
मैथ स्किल्स बेहतर करने में मिलती है मदद - अगर बच्चों को कोडिंग आती है, तो वे मैथ को फन और क्रिएटिव समझते हैं। कोडिंग की मदद से बच्चे समझ पाते हैं कि मैथ को रियल लाइफ में कैसे अप्लाई करना है और यह कितना आसान है।
राइटिंग एकेडेमिक अच्छी होती है - जिन बच्चों को कोडिंग आती है, वह प्लैनिंग और ऑर्गनाइजेशन अच्छी कर पाते हैं। जब भी उन्हें राइटिंग के लिए कहा जाता है, तो वह अपने पॉइंट्स को क्लीयर और ऑर्गनाइज कर पाते हैं।
स्मार्ट वर्क के लिए कॉन्फिडेंस मिलता है - यह बेसिक लर्निंग बच्चों को भविष्य में काफी काम आती हैं और इनकी मदद से वह कॉन्फिडेंट रहते हैं। 5 साल की उम्र से बच्चों को बेसिक कोडिंग सिखाई जा सकती है और फिर वे आगे की टेक्निकल चीजें भी सीख सकते हैं।